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    मुगल शहंशाह अकबर ने जिंदा रहते ही बनवाया था मकबरा, जाट शासकों ने किया था हमला, पढ़िए इसकी खासियत और इतिहास

    Tomb of Akbar आगरा में सिकंदरा क्षेत्र में अकबर का मकबरा स्थित है। आगरा-मथुरा नेशनल हाईवे पर ये स्मारक है यहां की टिकट दर काफी कम है। आसानी से इस मकबरे में घूमा जा सकता है। यहां कुछ प्रजाति के हिरन रहते है।

    By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Mon, 06 Jun 2022 11:14 AM (IST)
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    Tomb of Akbar आगरा का सिकंदरा मकबरा का निर्माण अकबर ने खुद शुरू कराया था।
    आगरा, जागरण टीम। सिकंदरा (अकबर का मकबरा) का इतिहास भी गौरवशाली है। पुरानी पीढ़ी तो इन कम चर्चित स्मारकों से परिचित है, लेकिन प्रवासी नागरिकों और नई पीढ़ी को इसके इतिहास से परिचित कराना जरूरी है।

    आगरा-मथुरा राष्ट्रीय राज मार्ग पर है मकबरा

    आगरा-मथुरा राष्ट्रीय राज मार्ग पर अकबर का मकबरा है, जिसे सिकंदरा कहते हैं। यह लोदी स्थापत्य कला पर आधारित पांच मंजिली इमारत है। इसमें सबसे नीचे अकबर की कब्र है।

    ये है खासियत

    सिकंदरा की पांचवीं मंजिल सफेद संगमरमर से बनी हुई है। इसके चारों तरफ नौ-नौ मेहराबों के दालान हैं। चारों तरफ बगीचे हैं। पहले यमुना नदी सिकंदरा से सटकर बहती थी, जो बाद में धीरे-धीरे यहां से करीब एक किलोमीटर दूर खिसक गई। सिकंदरा की निर्माण शैली दूर से ही आकर्षित करती है।

    खुद शुरू कराया था ​निर्माण

    मुगल शहंशाह अकबर ने अपने जीवनकाल में ही अपने मकबरे का निर्माण शुरू करा दिया था। वर्ष 1605 में उसकी मौत के बाद उसके बेटे जहांगीर ने अकबर के मकबरे को पूरा कराया। वर्ष 1613 में बनकर तैयार हुए इस मकबरे पर उस समय करीब 15 लाख रुपये की लागत आई थी।

    औरंगजेब के समय हुआ था हमला

    अकबर के मकबरे को जाट राजा राम ने औरंगजेब के समय हमला कर लूट लिया था। कुछ इतिहासकारों ने तो उसके द्वारा अकबर की कब्र खोदकर उसकी अस्थियां जलाने की बात भी लिखी है। वर्ष 1764 में आगरा में जाटों का शासन होने के बाद इस मकबरे को काफी क्षति पहुंची थी।

    ब्रिटिशकालीन पेंटिंग भी

    मकबरे के प्रवेश द्वार के ऊपर बनीं मीनारें टूट गई थीं। करीब 150 वर्षों तक यह मीनारें टूटी ही रहीं। वर्ष 1834 की एक ब्रिटिशकालीन पेंटिंग में चार में से दो मीनारों को टूटा हुआ दिखाया गया है। केसी मजूमदार ने अपनी किताब 'इंपीरियल आगरा आफ द मुगल्स' में मीनारों के संरक्षण का जिक्र किया है। कर्जन ने वर्ष 1905 में वेल्स के प्रिंस और प्रिंसेज के आगरा दौरे से पूर्व दिन-रात संरक्षण कार्य कराकर इन मीनारों को दोबारा बनवाया था। मजूमदार ने इस काम को लार्ड कर्जन का भारत में अंतिम काम बताया है।

    तीन मंजिला हैं मीनारें

    रेड सैंड स्टोन से बना सिकंदरा का प्रवेश द्वार करीब 74 फुट ऊंचा है। इसके ऊपर चारों कोनों पर बनीं तीन मंजिला मीनारों की ऊंचाई छत से 86 फुट है। यह सफेद संगमरमर की बनी हुई हैं। मीनारों के अंदर सीढ़ियां बनी हैं, जो कि उसके शीर्ष तक जाती हैं।  

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